इस सीट पर वर्तमान सांसद एवं कांग्रेस प्रत्याशी सिनेस्टार शत्रुघ्न सिन्हा का मुकाबला केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद से है । पटना साहिब सीट देश की उन चुनिंदा सीटों में एक हैं जहां कायस्थ मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर के बीच मुकाबला
इस सीट पर वर्तमान सांसद एवं कांग्रेस प्रत्याशी सिनेस्टार शत्रुघ्न सिन्हा का मुकाबला केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद से है । पटना साहिब सीट देश की उन चुनिंदा सीटों में एक हैं जहां कायस्थ मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। बीजेपी ने इस सीट पर पार्टी से असंतुष्ट रहने वाले शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट इस बार काट दिया और उन्हीं की जाति से संबंध रखने वाले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया है। इसके बाद सिन्हा बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। पटना साहिब पर सिन्हा को महागठबंधन का समर्थन हासिल है जिसमें लालू प्रसाद की अगुवाई वाली आरजेडी भी शामिल है।
पटना साहिब सीट पर कायस्थों का दबदबा
पटना साहिब सीट का गठन वर्ष 2008 में नए परिसीमन के तहत हुआ था। इसके बाद से यहां पर दो लोकसभा चुनाव हुए हैं। दोनों ही बार बीजेपी के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा सांसद चुने गए। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पटना साहिब सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा रहा है। लगभग पांच लाख से ज्यादा कायस्थों के अलावा यहां यादव और राजपूत मतदाताओं की भी खासी संख्या है। सामान्य तौर पर यहां के कायस्थ वोटरों का झुकाव बीजेपी की तरफ माना जाता है। इस बार चुनाव मैदान में दोनों ही तरफ बड़े कायस्थ चेहरे खड़े होने की वजह से वोट बंटने के कयास लगाए जा रहे हैं।
रविशंकर को कायस्थों के साथ मिल सकता है कुर्मी वोट
जेडीयू के साथ होने की वजह से रविशंकर प्रसाद को कुर्मी और अतिपिछड़ा वोटों का भी लाभ हो सकता है। कुम्हरार के नवीन सिन्हा का कहना है कि अगर रविशंकर प्रसाद अब तक दिल्ली की राजनीति करते रहे हैं तो शत्रुघ्न सिन्हा भी पटना में चुनाव के वक्त ही दिखाई देते हैं। आपको बता दें कि रविशंकर प्रसाद के पिता ठाकुर प्रसाद जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे।
पटना साहिब लोकसभा सीट की यह है स्थिति
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें आती हैं। इन विधानसभा सीटों में बख्तियारपुर, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, दीघा और फतुहा सीटें शामिल हैं। इनमें पांच सीटें बीजेपी के पास हैं। सिर्फ फतुहा सीट आरजेडी के पास है। 2008 में परिसिमन से पहले पटना सीट पर 1952 से 1962 तक कांग्रेस तथा 1967 एवं 1971, 1980 में सीपीआई ने जीत दर्ज की। 1977 में जनता दल, 1984 में कांग्रेस जीती। 1989 में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। 1991 एवं 1996 में जनता दल तथा 1998 एवं 1999 में यह सीट बीजेपी की झोली में गई। 2004 में यह सीट आरजेडी के खाते में गई।